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Showing posts from November, 2019

अपने ख़्वाबों के आसमान में उड़ता हुआ परिन्दा - आलोक पाण्डेय

अपने ख़्वाबों के आसमान में उड़ता हुआ परिन्दा - आलोक पाण्डेय भास्कर सुहाने , 9 सितम्बर 2018  मंदिर के बाहर आपके चेले चपाटे 10 -10 रूपए में किताबें बेच रहे हैं | पेज नंबर 4 पर लिखा हुआ बता रहे हैं कि ये मंत्र पढ़ो तो पुत्र पैदा होगा | मतलब इनके हिसाब से एक 10 रुपय की किताब खरीद लो और भगवान के Master-Plan की पूरी तरीके से बाट लगा दो |  फिल्म pk का ये डायलॉग तो याद आ रहा होगा , जहाँ एक शख्श मंदिर से वीडियोलाइव होकर एक पाखंड कर रहे पंडित को एक्सपोज़ करता है | वो कोई और नहीं हमारे "आलोक पाण्डेय" जी ही थे | फिल्म का वो छोटा सा सीन जब भी देखता हूँ तो उनको देखकर लगता है कि कोई पर्दे पर है |        'सत्यजीत रे फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट' और 'भारतेन्दु नाट्य एकेडमी' से मंझकर निकले हुए आलोक  के लिए ये सब इतना आसान भी नहीं था |   साल 2007 से अब तक 11 साल हो गए हैं उन्हें इंडस्ट्री से जुड़े हुए | कैरियर के शुरुवाती दिनों में उनको C.I.D. में एक छोटा सा रोल ऑफर किया गया था , उसका मेहनताना 3000 / - रुपय दिया गया मगर शूट के बाद एडिटिंग में उनका